परिजनों को नहीं देखने दिया शव...
तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को घर के आंगन में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया। क्षत-विक्षत शव होने के कारण परिजनों को शव खोलकर नहीं दिखाया गया। शव के घर पहुंचते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। इलाके से आए लोगों ने इंद्र सिंह अमर रहे के नारे लगाकर यह संदेश देने का प्रयास किया कि नक्सलवाद के खिलाफ लडऩे के लिए सभी एकजुट हैं। राइफलमैन इंद्र सिंह मणिपुर में हुए आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आने से सोमवार सुबह अपने एक अन्य सहयोगी के साथ शहीद हो गए थे।
राजनेता भी हुए शहीद की शवयात्रा में शामिल
बुधवार को शहीद की शवयात्रा में मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा, सदर के विधायक अनिल शर्मा, नाचन के विधायक विनोद कुमार और जिला परिषद अध्यक्ष चंपा ठाकुर सहित अन्य नेता और प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए। अंतिम यात्रा में बड़ी तादाद में स्थानीय लोग भी शामिल हुए। पंडोह श्मशानघाट में शव को पहले सलामी दी गई। मातमी धुन बजाकर शोक प्रकट किया गया।
शहीद के सात वर्षीय बेटे उदय सिंह ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। लोगों में नक्सलियों द्वारा की गई कायराना हरकत को लेकर भारी आक्रोश देखने को मिला और नक्सलवाद पर सरकार से कार्रवाई की मांग उठाई गई। वहीं स्थानीय पंचायत ने शासन और प्रशासन से शहीद इंद्र सिंह के नाम पर इलाके में स्मारक बनाने की मांग उठाई।
शहीद इंद्र सिंह ने 35 वर्ष की आयु में देश के लिए अपनी शहादत दी है। शहीद अपने पीछे बूढ़ी मां, 29 वर्षीय पत्नी इंदु और 7 वर्षीय बेटे उदय सिंह को छोड़ गए है। इंद्र सिंह की शहादत से परिवार के अलावा पूरे इलाकावासियों को गर्व महसूस हो रहा है। सांसद रामस्वरूप शर्मा और विधायक अनिल शर्मा ने इंद्र सिंह की शहादत पर अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए सरकार की तरफ से दिया
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