मुंबई के एक कोठे से आजाद कराई 18 नाबालिग लड़कियों को जब सरकार ने उनके परिवार को सौंप दिया, तो 9 लड़कियां वापस जिस्मफरोसी के अवैध व्यापार में फिर कैसे पहुंची ? सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इसका जवाब मांगा है।
एक एनजीओ की पिटीशन पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलमेश्वर की बेंच ने आदेश जारी किया है कि इस मामले में लड़कियों के कथित परिजनों के बैकग्राउंड की भी जांच की जाए। रेस्क्यू फाउंडेशन ने दायर की है पिटीशन ...
पुणे की रिसस्क फाउंडेशन नामक एनजीओ के ओर से वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सर्वोच्च न्यायालय में पिटीशन दायर की है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनकी एनजीओ ने पुलिस के साथ मिलकर नंदर बार नामक स्थान पर एक पर 10 जनवरी को छापा मारा था। इस दौरान जिस्मफरोशी से जुड़े 61 महिलाएं और 18 नाबालिग लड़कियां पकड़ी गई थीं।
- "सभी लड़कियों को उनके परिवार के सुपुर्द कर ने के लिए बाल वेल्फेयर समिति की पुष्टि की गई।"- "
अगले ही दिन 9 लड़कियों और उसके बाद बाकी 9 लड़कियों को उनके कथित परिजन के हवाले कर दिया गया ।"
- "संभवत: नाबालिग लड़कियों को जिनके हवाले कराई जाती हैं, उनके परिवार और अभिभावक नहीं बल्कि प्रशीतन से जुड़े लोग हैं। कुछ दिनों बाद ही 9 लड़कियों को अज्ञात लोगों को बेच दिया गया। जब लड़कियों को उनके परिवारों को सौंपा गया तो वे इस मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए। "
- "संभवत: नाबालिग लड़कियों को जिनके हवाले कराई जाती हैं, उनके परिवार और अभिभावक नहीं बल्कि प्रशीतन से जुड़े लोग हैं। कुछ दिनों बाद ही 9 लड़कियों को अज्ञात लोगों को बेच दिया गया। जब लड़कियों को उनके परिवारों को सौंपा गया तो वे इस मामले की सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए। "
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