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Saturday, 12 August 2017

Relief on women in Nepal, restrictions on septic practices

नेपाल में महिलाओं को मिली राहत,सदियों पुरानी छौपाड़ी प्रथा पर लगी रोक 




हाल ही में नेपाल की संसद ने उस पुरानी हिंदू प्रथा पर रोक लगा दी है जिसके चलते महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बाहर रहना पड़ता है।

नए कानून के तहत यदि किसी महिला को मासिक-धर्म/पीरियड्स के दौरान बाहर रहने के लिए मजबूर किया गया तो आरोपी को 3 महीने की जेल या फिर 3 हजार रुपए जुर्माने के तौर पर देने होंगे। वहीँ दहेज़ के लिए महिला को प्रताड़ित या एसिड अटैक की पीड़ित महिला से भेदभाव पर भी क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी। 

दरअसल पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अपवित्र माना जाता है। बीते महीने घर के बाहर बनी झोपड़ी में सो रही एक किशोरी की सांप के काटने से मौत हो गई थी। 2016 में भी चौपदी प्रथा का पालन करते हुए दो किशोरियों की मौत हुई थी, जिस कारण नेपाल संसद ने यह फैसला लिया है।

नेपाल के एक इलाका ऐसा है जहां पर पीरियड के दौरान महिलाओं को अपने घर को छोड़ना पड़ता है। इस प्रथा का नाम छौपाड़ी है इस प्रथा के अनुसार पीरियड के दौरान महिलाएं गंदी हो जाती है।

एक पत्रिका की खबर के अनुसार, इश्वरी जोशी नाम की लड़की ने बताया कि जब वह 15 साल की थी तो उसे पहली बार पीरियड आया। उसे 9 दिन घर से बाहर रहना पड़ा। वह बाहर ही सोती थी
धमीलेख नाम के इस गांव में करीब 100 परिवार रहते हैं यहां लोगों ने कुछ ऐसी झोपड़ियां बना रखी है जहां पर महिलाओं को पीरियड के दौरान सोने के लिए भेजा जाता है

इन झोपड़ियों में महिलाओं को बहुत कम चीजें ही मिलती हैं और कभी-कभी इन झोपड़ियों को कई महिलाएं शेयर भी करती हैं। इन झोपड़ियों में रहने वाली महिलाओं को न खाना तो खाना बनाने दिया जाता है और न ही ये महिलाएं घर के किसी भी सामान को छू सकती हैं। इस दौरान महिलाओं को उनके अलग बर्तन दिए जाते हैं, जिसमें वह खाना खाती हैं।  बता दें कि नेपाल में ही नहीं बल्कि भारत के कुछ पहाड़ी इलाकों में भी इस प्रथा को माना जाता है और बड़े ही सख्त नियमों से इसका पालन किया जाता है।

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