जिन्ना ने दोस्त की 16 साल की बेटी को प्रेमजाल में फसा कर बनाये सम्बन्ध

पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के जन्म को लेकर विरोधाभास है। कुछ का कहना है कि उनका जन्म कराची में 20 अक्टूबर 1876 को हुआ।
जबकि सरोजिनी नायडू द्वारा जिन्ना की जीवनी पर लिखी गई किताब के अनुसार उनका जन्म 25 दिसंबर 1876 को हुआ। इसीलिए आधिकारिक रूप से 25 दिसंबर ही उनकी जन्मतिथि मानी जाती है। जिन्ना ने मुंबई की युनिवर्सिटी से मैट्रिक की थी। वे मात्र 19 साल की उम्र में ही वकील बन गए थे।
जिन्ना बचपन से ही बहुत तेज दिमाग के थे। इसी के चलते राजद्रोह के आरोप का सामना कर रहे बाल गंगाधर तिलक ने 1905 में जिन्ना को ही अपना वकील बनाया था। हालांकि, जिन्ना यह केस जीत नहीं सके थे और तिलक को सश्रम कारावास की सजा हो गई थी।
जिन्ना मूल रूप से गुजराती हैं। उनके पिता जिन्नाभाई पुंजा का जन्म गुजरात, कठियावाड के पनेली गांव में हुआ था। पुंजा एक प्रसिद्ध व्यापारी थे और जिन्ना के जन्म से पहले सिंध (अब पाकिस्तान) में जाकर बस गए थे। पाकिस्तान की स्थापना के बाद जिन्ना पाकिस्तान के पहले गर्वनर जनरल बने। टीवी की बीमारी से ग्रसित जिन्ना ने कराची में 11 सितंबर 1948 को रात के लगभग साढ़े दस बजे दुनिया से विदा ली।
पाकिस्तान के कराची शहर में 25 दिसंबर 1876 को जन्मे जिन्ना की मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही एमीबाई नामक लड़की से शादी हो गई थी। 17 वर्ष की उम्र में ही वे बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए थे। सन् 1986 में जिन्ना मुंबई पहुंचते, उससे पहले ही एमीबाई का निधन हो गया था।बैरिस्टर के रूप में जिन्ना अपने शाम का समय मुंबई के ‘ओरिएंटल क्लब’ में बिताया करते करता था। बिलियर्ड और चैस के शौकीन जिन्ना की क्लब में आने वाले अनेक लोगों से दोस्ती थी। इसमें मुंबई के नामी उद्योगपति सर दिनशा पिटीट का नाम भी शामिल था। जिन्ना अक्सर दिनशा के बंगले में आयोजित होने वाली पार्टियों में भी शरीक हुआ करते थे। कभी-कभी तो वे बंगले पर दिनशा के साथ शतरंज खेलते हुए भी नजर आ जाते थे। जिन्ना और दिनशा के बीच अच्छी दोस्ती थी। इसी दौरान जिन्ना की नजर दिनशा की 16 साल की बेटी रूटी पर पड़ी और उन्हें रूटी से प्यार हो गया।
सी बीच एक बार दिनशा ने मुंबई की गर्मी से राहत पाने के लिए दार्जिलिंग में छुट्टियां बिताने का प्रोग्राम बनाया। दिनशा ने जिन्ना को भी आमंत्रित किया और फिर दिनशा के परिवार के साथ जिन्ना भी दार्जिलिंग जा पहुंचे। यह 1916 का वर्ष था, जो जिन्ना की जिंदगी में नई सुबह लाने वाला था।
दार्जिलिंग में ही जिन्ना की मुलाकात दिनशा की 16 वर्षीय बेटी रतनबाई उर्फ रूटी से मुलाकात हुई। हालांकि इससे पहले रूटी, जिन्ना को कई बार देख चुकी थीं। रूटी यहां आकषिर्त करने वाले कपड़ों में थी, जिसे देखकर जिन्ना का मन एक बार से जवान हो गया। वर्षो पूर्व विधुर हो चुके जिन्ना का दिल रूटी पर आ गया।
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