इंदौर .सीनियर नेशनल रेसलिंग में दिव्या काकरान ने 68 केजी में गोल्ड जीता। जब वे अंदर बाउट लड़ रही थीं, उनके पापा सूरज काकरान बाहर रेसलर्स के कपड़े बेच रहे थे। दिव्या बाहर गईं और पिता के गले में गोल्ड डाल दिया। 19 साल की दिव्या ने बताया कि रेसलिंग में सक्सेस हासिल करने के बाद भी फैमिली की कंडिशन अच्छी नहीं हैं। घर चलाने के लिए मां रेसलर्स के कॉस्ट्यूम सिलती हैं और पिता मैच के दौरान उन्हें बेचते हैं। स्टेडियम के बाहर उनका स्टॉल लगा है। दिल्ली की रहने वाली हैं दिव्या
दिव्या ने बताया कि वो दिल्ली की रहने वाली हैं लेकिन उन्होंने यूपी की ओर से हिस्सा लिया। यूपी में चैंपियन रेसलर्स को अच्छे रुपए मिलते हैं जिस वजह से उन्होंने यूपी को रिप्रजेंट किया।
दिव्या के मुताबिक, रेसलिंग में जाटों का दबदबा है और वे पिछड़ी जाती की हैं। इस वजह से कई बार उन्हें अपमानित करने की कोशिश भी की गई। हालांकि, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज रिजल्ट सबके सामने है।
किडनी स्टोन से थी पीड़ित
दिव्या हाल ही में किडनी स्टोन से पीड़ित थी। इस वजह से उन्हें कुछ समय रेसलिंग से दूर भी रहना पड़ा था।
उन्होंने दिल्ली के एम्स में इसका ट्रीटमेंट भी कराया। अब वे अंडर-23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने पोलैंड जाएंगी।
इसके बाद उनका टारगेट कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में देश के लिए मेडल जीतना है।
10 साल की उम्र में लड़कों से किया मुकाबला
फोगाट बहनों की तरह दिव्या को भी शुरुआती सक्सेस लड़कों को हराकर मिली।वे 10 साल की उम्र से लड़कों से मुकाबला कर रही हैं। उससे कोई लड़का लड़ने को तैयार नहीं था। फिर एक लड़का तैयार हुआ।
उसके पिता ने घोषणा कर दी कि अगर इसने मेरे लड़के को हरा दिया तो मैं इस छोरी को 500 रुपए दूंगा। मैं जीत गई।
उस दिन से पहले मैंने कभी 500 रुपए का नोट छुआ भी नहीं। उस तय हुआ कि कॅरियर रेसलिंग में बनाना है।
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