नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने केरल में हिंदू लड़की हादिया और मुस्लिम लड़के शफीन की शादी के मामले में फैसला सुनाते हुए लड़की को 27 नवंबर को अदालत में पेश करने को कहा है। बेंच ने सुनवाई के दौरान नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने हल्के अंदाज में सवाल किया, "कानून में क्या कोई ऐसा नियम है कि कोई लड़की किसी अपराधी से प्यार नहीं कर सकती? कोर्ट ने कहा कि अगर लड़की बालिग है तो सिर्फ उसकी सहमति ही जरूरी होती है।
NIA ने कहा- मैकेनाइज्ड मशीनरी युवाओं को कट्टर बना रही
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच कर रही है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान NIA की ओर से एडीशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने बेंच से कहा कि राज्य में बहुत ही मैकेनाइज्ड मशीनरी एक्टिव है। वह राज्य में कट्टरता भरने के काम में लगी है। वहां अब तक इस तरह के 89 मामले सामने आ चुके हैं।
लड़की का मेंटल स्टेटस समझेगा कोर्ट
एएसजी ने कहा कि किसी शख्स को इतना बरगला दिया जाए कि वह अपने मजहब और माता-पिता से ही नफरत करने लगे, तब यह कहना ठीक नहीं कि वह अपनी मर्जी से ऐसा कर रहा है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह लड़की से खुले कोर्ट में बात करेगा और उसके मेंटल स्टेटस को समझेगा। कोर्ट ने कहा कि अगर यह पाया जाता है कि लड़की को बहलाया-फुसलाया गया है तो वह उसकी तफसील से जांच कराएगा।
लड़की के पिता ने इस मामले की सुनवाई कैमरे के सामने किए जाने की अपील की थी। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
पिता ने कहा- कट्टर है शफीन
हादिया के पिता की ओर से वकील श्याम दीवान ने दावा किया कि उनकी बेटी का कथित पति एक कट्टर शख्स है और राज्य में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे कई ऑर्गनाइजेशन समाज को कट्टर बनाने में लगे हैं।
महिला के पति शफीन की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने एनआईए और लड़की के पिता की दलीलों का विरोध किया।
क्या है पूरा मामला?
केरल में अखिला अशोकन उर्फ हादिया (24) ने शफीन नाम के मुस्लिम लड़के से दिसंबर 2016 में शादी की थी।
लड़की के पिता एम अशोकन का आरोप था कि यह लव जिहाद का मामला है। उनकी बेटी का जबर्दस्ती धर्म बदलवाकर शादी की गई है।
लड़की के पिता की पिटीशन पर हाईकोर्ट ने 25 मई को यह शादी रद्द कर दी थी। हादिया को उसके माता-पिता के पास रखने का आदेश दिया था। इसके बाद शफीन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्देश दिए थे?
जुलाई में सुनवाई के दौरान SC ने कहा था, "हम NIA को ये काम सौंपते हैं कि वो इस मामले की पूरी तस्वीर सामने लाए। वो ये भी पता करे कि ये केवल इकलौती घटना है, जो छोटे इलाके तक ही सीमित है या फिर इस मामले में कुछ बड़ा था।"
HC के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं
सुप्रीम कोर्ट इस सवाल पर विचार कर रहा है कि क्या हाईकोर्ट रिट पिटीशन पर अपने हक का इस्तेमाल करके एक मुस्लिम युवक की उस हिंदू महिला से शादी को रद्द कर सकता है, जिसने शादी करने से पहले इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था।
केरल सरकार का क्या स्टैंड था?
केरल सरकार ने 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था, "हिंदू महिला के मुस्लिम धर्म स्वीकार करने और मुस्लिम युवक से विवाह के मामले में NIA जांच की जरूरत नहीं है। इस मामले में पुलिस ने पूरी जांच की है और इसमें ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, जिससे ये मामला NIA को सौंपा जाए।"
NIA ने पहले क्या कहा था?
पिछली सुनवाई में भी एएसजी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी, "जांच एजेंसी का यह मानना है कि महिला का धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम शख्स से निकाह कराना लव जिहाद से अलग घटना नहीं है। लव जिहाद के अन्य मामलों में भी यही लोग शामिल थे, जिन्होंने उन हिंदू लड़कियों के धर्म बदलवाए जिनके अपने मां-बाप से मतभेद थे।"
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