मदनगंज-किशनगढ़. राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में भर्तियों में अनियमितता, भ्रष्टाचार सहित विभिन्न मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों के परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। बेटों के उज्ज्वल भविष्य का सपना संजोए इन अभिभावकों का रो-रोकर बुरा हाल है। भूख हड़ताल पर बैठे छात्र प्रत्येक गतिविधि को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। ऐसी ही एक पोस्ट जब छात्र बालकृष्ण कुमावत ने पोस्ट की तो उनकी मां ने लाड़ले से कहा कि, आखिर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए तुझे 6 दिन तक भूखे रहने की क्या जरूरत पड़ी। मां की इस टिप्पणी के बाद सीयूआर के अन्य छात्रों में रोष व्याप्त है।
भूख हड़ताल पर बैठे सीयूआर के छात्र बालकृष्ण कुमावत ने फेसबुक पर अपनी भूख हड़ताल की फोटो के साथ संदेश पोस्ट किया। इसमें लिखा है ‘’मां का कॉल आया आज, कब से रोक रखा था खुद को, आज नहीं रुका गया, रो पड़ी, कहने लगी, वो जो तेरे पापा ज्यादा बड़े बनते हैं ना, तेरे सामने कहते हैं कि डटा रह, सही काम के लिए, रुकना नहीं आखिरी सांस तक लड़ना, वही पिता तेरे से बात बंद होने के बाद तेरी ही रट लगाए रखते है, कहते हैं- “इसको कभी भूखे पेट ना सोने दिया, नींद से जगा के दूध पिला के सुलाते हैं और आज इसे कहां जरूरत पड़ गयी 6 दिन से भूखा रहने की । जिद पे अड़ गयी मां ने कहा कि मैं और तेरे पापा आ रहे हैं सब गांव वालों और 2-4 नेताओं के साथ। पर मैं भी उनका ही पुत्र हूं, उनसे दोगुना जिद्दी, और कट्टर...,मैंने साफ लहजे में इनकार करते हुए कहा कि ये मेरी लड़ाई है, मैंने शुरू की है तो खत्म भी मैं ही करूंगा। हालांकि इसका अंजाम भी मुझे पता है, पर अब ठान ली तो ठान ली, अब गद्दारों को सबक सिखा के मानेंगे, हार नहीं मानेंगे, चाहे जो कीमत चुकानी पड़ी।
गांजा पकड़ा तब पुलिस नहीं थी, दीक्षांत समारोह में छावनी में बदल गया सीयूआर
सीयूआर में पहली बार दीक्षांत समारोह में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे। छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकालते हुए कमेंट किए कि छात्र अपराधी हैं। सीयूआर में अपराध हो रहा है। जब गांजा पकड़ा गया तब पुलिस नहीं थी लेकिन दीक्षांत समारोह में पुलिस भरी पड़ी है। सारे छात्र अपराधी है। सही है तो सीयूआर प्रशासन। इसलिए पुलिस को बुलाया।किसी ने कमेंट किया कि शिक्षा का उच्च मंदिर में कर्फ्यू लगा हुआ है। ऐसी क्या नौबत आई कि पुलिस बुलानी पड़ी। किसी ने कमेंट किया कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्रीजी और एमएचआरडी को सोचना चाहिए कि आज ये हालात क्यूं बने। छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। छात्र कड़ी प्रतिक्रिया देकर आगे फॉरवर्ड और शेयर करते नजर आए।
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