बठिंडा/रामपुरा फूल. आज श्मशान घाट का माहौल कलेजा कंपा देने वाला था। सुबह बठिंडा-भुच्चो रोड स्थित फ्लाईओवर पर हुए एक भयंकर हादसे में मरे रामपुरा फूल के छह परिवारों के बच्चों की लाशें एक साथ बठिंडा सिविल हॉस्पिटल से यहां पहुंची थी। बच्चों को अंतिम विदाई देने के लिए पूरी रामपुरा मंडी के लोग श्मशान घाट पर उमड़ पड़े और नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। एक- एक करके छह लाशों को मुखाग्नि दी गई तो पूरी रामपुरा मंडी के लोग फफक-फफक कर रो पड़े। परिजनों व रिश्तेदारों की चीख-चीत्कार के बीच एक साथ आईं इतनी लाशें के कारण रामपुरा को श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया। पापा मैं ठीक हूं फिक्र न करो...
हादसे में मरने वाले एफसीआई बठिंडा में क्लर्क के पद पर तैनात रामपुरा फूल की लवप्रीत कौर ने अपने पिता स्वर्ण सिंह को फोन कर बताया था कि पापा मैं ठीक हूं, आप फ्रिक न करो।
हमारी बस का एक्सीडेंट हुआ है, लेकिन हादसे में उसे कोई चोट नहीं आई है। स्वर्ण सिंह ने बताया कि बेटी के फोन आने के बाद उन्हें चिंता छोड़ दी थी, लेकिन उन्हें क्यों मालूम था कि उनकी बेटी का यह आखिरी फोन है।
बेटी लवप्रीत कौर का आखिरी फोन सुनने के करीब दो घंटे बाद एक फोन आया कि उसकी बेटी लवप्रीत की मौत हो गई।
कई घरों में नहीं जला चूल्हा
मरने वालों में रामपुरा के विनोद मित्तल, खुशबीर कौर, शिखा बांसल, जसप्रीत कौर व नैंसी के अलावा बठिंडा फूड सप्लाई विभाग में तैनात रामपुरा फूल निवासी लवप्रीत कौर के अलावा भुच्चो मंडी के ईश्वर कुमार व गांव लेहरा खाना की मनप्रीत कौर का शव पोस्टमार्टम के बाद उनके घर पहुंचे थे।बच्चों के शव को देखकर उनके परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल था। पूरी मंडी में सन्नाटा था। कई घरों में चूल्हा तक नहीं जला।
सहारा जनसेवा के कार्यकर्ताओं ने हादसे के मृतकों और जख्मियों को सिविल हॉस्पिटल पहुंचाया।
शव पहचान के लिए रखे
आसपास के इलाकों के वह सैकड़ों माता-पिता थे, जिनके बच्चे सुबह उन्हें जल्द वापस आने की बात कहकर घर से गए थे।
शव इस कदर कटे हुए थे कि उनके शरीर का एक-एक हिस्सा इकट्ठा कर अस्पताल लाना पड़ा।
अस्पताल में 6 लड़कियां और 3 लड़कों के शव पहचान के लिए रखे थे।
मरने वाले सभी छात्रों के अपने सपने थे कोई डाॅक्टर बनना चाहता था, तो कोई विदेश में जाकर नौकरी करना चाहता था, लेकिन हादसे से बच्चों के साथ-साथ उनके परिवारों के सपने भी टूट गए।
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