12 साल तक घर में बंद करके रखा भाई और बहन ने खुद को - iTOP News

Breaking News

Post Top Ad

Monday 16 October 2017

12 साल तक घर में बंद करके रखा भाई और बहन ने खुद को


पैरेंट्स की मृत्यु के बाद 12 साल तक घर में खुद को कैद रखने वाले ,सड़क पर भीख मांगने वाली मेजर की बेटी अब ठीक है   हालांकि, उसके भाई अरुण का इलाज अब भी चल रहा है। सदमें में दोनों ने मानसिक संतुलन खो दिया था, लेकिन इलाज के बाद अब दोनों का मेमोरी वापस आ रही है । दैनिकभास्कर ने अंजना और उसके  भाई का इलाज करने वाले लखनऊ के निवरन हॉस्पिटल के डॉ। सुरेश धपोला से बात की

22 साल की उम्र में उठ गया था  पैरेंट्स का साया

- अंजना के मुताबिक, लखनऊ के इंदिरा नगर में शालीमार चौराहे के पास  उनका अपना घर है  वहां तीनों भाई-बहन और मम्मी-पापा रहते थे

- तीनों में वह दूसरे नंबर पर थी  2004 में रोड एक्सीडेंट में मम्मी-पापा की मृत्यु हो गई। उस समय मैं 22 साल की थी  लखनऊ यूनिवर्सिटी में एमए प्रथम वर्ष में एडमिशन लिया था , पेरेंट्स की डेथ के बाद पढ़ाई छूट गई।

सदमा  लगने से बड़ी बहन की भी हो गई मृत्यु , फिर 12 साल कैद रहे  विरान घर में

- वह कहती है, '' मम्मी-पापा की मृत्यु का समाचार सुनकर उस रात तीनों भाई-बहन बहुत रोए। बड़ी बहन उसे बहुत प्यार करता थी  वो मेरे लिए अलमारी  में छिपाकर बिस्कुट रखती थी । पेरेंट्स की डेथ से वो बहुत दुखी थी कुछ दिनों बाद ही सदमे से उसकी भी मौत हो गयी 

- '' बहन की मृत्यु के बाद हमने  घर से बाहर निकलना बंद कर दिया कुछ दिन बाद घर की बिजली और पानी की सप्लाई भी  कट गई। घर भी खण्डहर में बदल गया  इसके बाद का उन्हें ज्यादा कुछ याद नहीं है। ''

- उनका इलाज कर रहे  डॉ सुरेश धपोला ने कहा, "अगस्त 2016 में अंजना को एक दिन सड़क पर रोते और भीख मांगते देखा।"

- '' उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी । पुलिस ने भाई-बहन को 26 अगस्त 2016 को निर्वाण हॉस्पिटल ले आई उसके बाद से दोनों यहीं हैं। ''


दोनों को है ये बीमारी

- डॉक्टर बताते हैं- '' अंजना-अरुण को सिज़ोफ्रेनिया नाम की बीमारी है। ये बीमारी किसी को भी हो सकती है इस बीमारी के होने पर व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है  वह ठीक से किसी को भी पहचान नहीं पाता है। वह असामान्य तरीके से हरकते  करना शुरू कर देते  हैं, उसे भीड़-भाड़ में जाने से डर लगने लगता  है। वह किसी पर हमला भी कर सकता है लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का उपचार शुरू किया जाए तो पेशेंट को ठीक किया जा सकता है। डॉ धपोला ने बताया कि दोनों भाई-बहन पहले से काफी अच्छे हैं। '

अंजना को सेना ने दी नौकरी

- दोनों को अलग-अलग केंद्रों में रखा गया है। अंजना काफी हद तक ठीक हो गई  है अरुण का इलाज जारी है
- आर्मी ने अंजना के बर्ताव में इम्प्रूवमेंट  देखकर उसे अपनी सीएसडी कैंटीन में जॉब दिया है। उसने काम पर भी जाना शुरू कर दिया है 
- हॉस्पिटल की एक महिला कर्मचारी हर रोज अपनी बाइक से उसे  सेना कैंटीन ले जाती है और वापस लाती है

 अंजना को चलने-फिरने  खाने-पीने और बात करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उसे नृत्य भी सिखाया जाता है।
- हॉस्पिटल का स्टाफ उसके भाई अरुण को लाकर मिलाने का काम करता है  वो अब अपने भाई के साथ घर जाना चाहती  है। वह कहती है कि कभी भी शादी नहीं करेगी।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad